हमर प्रायः सब भाइ
बहिनक वर्णमाला ज्ञानक आधार यैह गीति काव्य अछि । बाबूजी आ माँ हमरा सब केँ गाबि
गाबि केँ ई सुनाबथि आ ई हमरा सबहक जेना मन स्मृति मे अंकित होइत चलि जाए । कियो
परिचित पाहुन लोकनि आबथि तँ हमरा यैह कविता सुनेबाक लेल कहल जाइत छल । हम उत्साहपूर्वक
ई पूरा कविता सुना दैत छलियै ।
मातृभाषा
शिक्षाक सबसँ सहज माध्यम होइत छैक । नेना सब केँ एहि मैथिली गीति काव्यक माध्यम सँ
अक्षर-ज्ञान करायब बड्ड हल्लुक भ’ जाइत छैक । शिशु केँ
ज्ञानक पहिल पौदान पर चढ़ेबाक प्रसंगे ई कविता एकटा अनमोल निधि थिक ।
एहि
सरस रचनाक रचियता छथि- उपेन्द्रनाथ झा ‘व्यास’। ‘नेना भुटका’ पत्रिकाक दोसर
अंक मे एकर प्रस्तुति करैत दमन कुमार झा लिखने छथि- “ ‘व्यास’ गंभीर काव्य लिखबाक लेल ख्यात छथि, किन्तु शिशुलोकनिक हेतु सेहो केहेन
सुबोध काव्य लिखी सकैत छथि, से एहि पोथीसँ सिद्ध अछि ।” “कवि
‘अ’ सँ ‘ज्ञ’
अक्षर धरि प्रायः प्रत्येक वर्णपर बड़ सुबोध कविताक रचना कय कोमलमति
बालककेँ अक्षरज्ञानक संग मातृभाषाक प्रति प्रेम सेहो जगौने छथि । मैथिली मे एहि
प्रकारक वस्तुक नितान्त अल्पता छलैक । वर्णानुसार कविता मिथिला मिहिर (साप्ताहिक)क
14,21,28 अक्टूबर आ 4,11,18 नवम्बर 1979 केँ अंकमे प्रकाशितो भेल रहनि ।” [संदर्भ- ‘नेना भुटका’, मार्च,
2016, पृष्ठ सं.-24]
‘नेना भुटका’ मे प्रकाशित एहि रचना मे हम अपन स्मृतिक
आधार पर किछुए टा तर्कसंगत परिवर्तन केनय छी । मूल कृति उपलब्ध भ’ गेला पर एकरा तदनरूप करबाक प्रयास कएल जायत । एहि बातक ध्यान राखल जाए जे
एहि मे किछु वर्णक लोप कएल गेल अछि जेना कि-“ण’ । ‘क’ आ ‘च’ वर्गक अंतिम वर्णक सेहो लोप छै । एहि वर्ण केँ
शुरूमे राखि कोनो शब्दक गठन प्रायः नहि होइत छैक । किछु वर्णक तँ प्रायः प्रयोगो
बन्न भ’ गेल छैक । कोनो तरहक सुधारक लेल सुझावक स्वागत अछि ।
अक्षर परिचय
अटकन-मटकन खेल खेलाउ
आम बीछि गाछीसँ लाउ
इचना माछक साना होइछ
ईटासँ घर महल बनैछ
उचकुनकेँ चुलहा पर देखू
ऊसर खेतमे गोबर फेकू
ऋषिमुनि सबहक फूट समाज
लृ लृकेर कोनो ने
काज
_____
एक पहिल गिनतीकेँ मानू
ऐना एक कतहुसँ आनू
ओल बहुत कबकब अछि भाइ
औटल पानि परम सुखदाइ
अंगा हमर छोट भ’ गेल
अः धन हमर चोर ल’ गेल
_____
ककबासँ अहाँ सीटू केस
खटरलालकेँ लगलनि ठेस
गदहा होइछ पशुमे बूड़ि
घड़ी अधिक छूनहिसँ दूरि
_____
चलू चली मिली देखी नाच
छओ पैसामे किनलहुँ साँच
जलमे बहुतो जीव रहैछ
झट दय करब नीक नहि होइछ
_____
टटका जल सँ खूब नहाउ
ठकक संगमे पड़ी ने बाउ
डमरू डिमडिम बजबी आनि
ढकर ढकर नहि पीबी पानि
_____
तरबामे नहि होइछ केश
थरथर काँपथि डरे धनेश
दही चुड़ामे गारू आम
धन धन छला भरत ओ राम
नरक जायब जँ करबे पाप
पड़ा-पड़ा कटतौ ओ साप
फटक लगा कयबाहर भेल
बड़द केँ चरबय लय गेल
भरत नामपर अछि ई देश
महाराज कहबथि मिथिलेश
_____
यश भगवानक अपरमपार
रमा संग जे करथि बिहार
ललका धोती पहिरू बाउ
वनमे एकसर अहाँ ने जाउ
शठ रावणकेँ मारल राम
षड्मुख सुर सेनापति नाम
सबसँ पैघ थिका भगवान
हम सब करी हुनक गुनगान
क्ष त्रिय ऊपर
रक्षा भार
त्र ज्ञ पढ़िके अक्षर
पार
______________
No comments:
Post a Comment
अपनेक प्रतिक्रियाक स्वागत अछि !