Saturday, June 3, 2017

मैथिलीक उन्नायक बाबू भोलालाल दास : बासुकीनाथ झा

मैथिली आंदोलनक अग्रिम पांतिमे प्रतिबद्ध योद्धा बनि डटल रहनिहार बाबू भोलालाल दास मैथिलीक सम्मान आ उत्थानक लेल अपन सर्वस्व झौंकि देने छलाह । ओ सांस्कृतिक चेतनाक स्तर पर मैथिल केँ व्यवहारिक रूपसँ पहिलबेर एकबद्ध केनिहार व्यक्तिमे सँ एक छलाह । प्राथमिक शिक्षासँ ल’ के विभिन्न विश्वविद्यालय धरि मैथिलीक स्वीकृतिक लेल कएल गेल हुनक संघर्ष अविस्मरणीय अछि । हम सब मैथिल हुनक ऋणि छी आ रहब । हुनका आ हुनक विचार आ काजकेँ (जे बहुत बेसी महत्वक छै) जाननय हमरा सब लेल आवश्यक अछि । एही भावनाक संग हुनका पर केन्द्रित किछु आलेख, आ उपलब्ध भेला पर हुनकर लिखल किछु सामग्रियो प्रस्तुत करबाक चेष्टा रहत । बासुकीनाथ झाक हुनकापर केन्द्रित प्रस्तुत परिचयात्मक आलेख हैदराबाद सँ प्रकाशित ‘देसिल बयना’ स्मारिका (मई 2017) सँ साभार लेल गेल अछि ।* 

मैथिलीक उन्नायक: बाबू भोलालाल दास
बासुकीनाथ झा
  
बासुकीनाथ झा

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बाबू भोलालाल दास एक एहन अवदानी महापुरुषक रूपमे जानल जाइत छथि जनिक मिथिला, मैथिली भाषा आ साहित्यक लेल अवदानक सम्यक मूल्यांकन एखनधरि शेषे अछि । हिनक जन्म दरभंगाक कसरौर** ग्राममे सन 1894 ई. मे भेलनि आ मृत्यु 28 मइ 1977 ई. केँ ।  शिक्षा मैट्रिक प्रथम श्रेणी (1911), आइ.ए. द्वितीय श्रेणी (1913) टी.एन.जे. कॉलेज भागलपुरसँ । 1913सँ 1915 धरि मिडिल इसकुलमे शिक्षण । पुनः टी.एन.जे. कॉलेज भागलपुरसँ बी.ए. (1917) । किछु समयक लेल बेतिया इसकुलमे शिक्षण । तत्पश्चात् इलाहाबाद लॉ कॉलेजसँ 1924मे विधि स्नातक । 1925सँ लहेरियासरायमे ओकालति प्रारम्भ ।
ओकीलक रूपमे केवल अर्थोपार्जन उद्देश्य नहि राखि समाज आ राष्ट्रक अभ्युत्थानक प्रवृत्ति उजागर रहल । अपन प्रवृत्तिगत स्वातंत्र्य आ निर्भीकताक बलेँ समाजमे विशेष परिचितिक व्यक्ति शीघ्रे बनि गेला । एहि समय धरि राष्ट्रीय स्वातंत्र्य आन्दोलन आ भारतीय क्षेत्रीय भाषा- संस्कृतिक पक्षधरतापर जोर पड़ब प्रारम्भ भऽ गेल छल । आ एही समयमे भोला बाबू मिथिला- मैथिल-मैथिलीक आन्दोलनमे निस्सन डेग बढ़ा देलनि । 
सन् 1929 ई. मे एम.एल. एकेडेमी लहेरियासराय परिसरमे विद्यापति पर्वक आयोजन केलनि जे पर्व आइ मैथिल संस्कृतिक प्रतीक बनि गेल अछि । ई आयोजन ततेक लोकप्रिय भेल जे प्रतिवर्ष आयोजित होमए लागल, प्रत्येक प्रमुख गाम-शहर-नगरमे आयोजित होइत गेल । आयोजनक स्वरूप विस्तार पाबए लागल । एहिसँ समस्त मिथिलांचलमे भाषिक जनाधार स्वतः तैआर भेल आ सांस्कृतिक चेतनाक विस्तारपूर्वक जागरण भेल । लोकमानसकेँ जाग्रत करबामे एहि पर्वक भूमिका महत्त्वपूर्ण बनल । भोलालाल दासकेँ विद्यापति पर्वक प्रारम्भकर्ता, वृहत आयोजनक प्रारम्भकर्ता मानल जाइत अछि । एहू रूपमे हिनक अवदानक स्मरण करब आवश्यक ।
कोनो संघर्ष अथवा आन्दोलनक हेतु एक संस्था आवश्यक होइछ । भोला बाबू मैथिलीक क्षेत्रमे आगाँ डेग उठा देने छला । तेँ एहि हेतु सन् 1931मे मैथिली साहित्य परिषदक स्थापना केलनि । एहि संस्थाक महामंत्रीक रूपमे 1932सँ 19400 धरि अनेक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक काज केलनि । एहि परिषदक ऐतिहासिक अनेक अधिवेशनक आयोजन एखनो प्रतिमान बनल अछि । परिषदक तृतीय अधिवेशनमे म00 उमेश मिश्रक अध्यक्षीय भाषण मैथिलीक भाषा वैज्ञानिक मान्यतामे मीलक पाथर बनल । चतुर्थ अधिवेशनक अध्यक्षता मधुबनीमे म.म. डॉ. सर गंगानाथ झा केलनि । परिषदक परिधिकेँ विस्तार दैत मुजफ्फरपुर, पटना, काशी, सहरसा, अजमेर, रोसड़ा, मन्दार मधुसूदन आदि अनेक स्थानपर अधिवेशन, विशेष उपवेशन आदिक सफल आयोजन भेल । एही क्रममे काशीक अधिवेशनमे भोलालाल दासकेँ अध्यक्ष बनाओल गेल । अर्थात् भाषा आन्दोलनक संगठनकर्ताक रूपमे भोला बाबूक अवदानकेँ स्मरण करब आवश्यक।
बिहारमे ओहि समयमे मैट्रिक परीक्षा पटना विश्वविद्यालयक अधीन संचालित होइत छल । तेँ माध्यमिक शिक्षामे मैथिलीक स्वीकृतिक हेतु संघर्ष प्रारम्भ भेल । पहिने पटना विश्विद्यालयक अभिषद (Senate)सँ पास कराएब आवश्यक छल । ताहि लेल दरभंगा महाराजक सहयोगसँ प्रयास सफल रहल । तत्पश्चात बिहार सरकारक शिक्षा विभागसँ स्वीकृति हेतु संघर्ष चलल आ अन्ततः 1940मे प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षामे सरकार द्वारा मैथिलीकेँ स्वीकृति भेटल । तात्पर्य जे अन्य मनीषी लोकनिक संग भोला बाबूकेँ प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षामे मैथिलीक सर्वप्रथम स्वीकृतिक सफलताक हेतु सेहो स्मरण करब आवश्यक । ई समय एहन छल जे हिन्दी-मैथिली संघर्ष सेहो संगहि चलि रहल छल । स्वतन्त्र भाषा नहि मानि मैथिलीकेँ हिन्दीक बोली सिद्ध करबाक कुचक्र चलि रहल छल । ओहि समयमे मैथिली-
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-क पक्षमे आधार वस्तु सभक संकलन, ओकर समुचित भाषामे समुचित रूपेँ प्रकाशन ओ उपस्थापन लक्ष्य रहैत छल । मैथिली विरोधी लोकनिक उत्तरमे भोला बाबू स्वयं अंग्रेजी-हिन्दी-मैथिली भाषामे अकाट्य तर्कयुक्त लौह-लेखनी चलौलनि । तेँ तार्किकता, बहुभाषिकता एवं पक्षधरताक सम्यक पुरोधाक रूपमे सेहो हिनका स्मरण करब आवश्यक ।
भोला बाबू 1937मे भारतीनामक पत्रिकाक प्रकाश्न प्रारम्भ केलनि । ई मात्र एक वर्ष चलल । किन्तु एही अल्पावधिमे इ पत्रिका लोकक ध्यान आकृष्ट केलक । एहिमे मैथिलीक भाषा, साहित्य तथा सामाजिक चेतनाक वस्तु प्रकाशित कए मार्ग प्रदर्शन केलनि । पुस्तक भंडार लहेरियासरायसँ प्रकाशित मिथिलानामक पत्रिकामे एक संग दू सम्पादक भेलाह - स्वयं बाबू भोलालाल दास तथा पं0 कुशेश्वर कुमर। ई दुनू क्रमशः नवता ओ प्राचीनताक प्रतिनिधि मानल गेला - कुमरपुरातन नीति निरत छथि, ‘दासनवीन समाजी । अछि  आशा  दुनू-दुनू केँसब  विधि  रखता राजी।। एहि पत्रिकाक घोषित उद्येश्य छल - एहि पत्रक मुख्य उद्येश्य मिथिला भाषाकेँ प्रान्तीय विशवविद्यालय एवं शिक्षा विभागमे उचित स्थान प्रदान करायबे थिक, अतः पत्र यथार्थमे साहित्यिके रहत किन्तु एहिमे सामाजिको एवं धार्मिको विषयक समावेश तेहने आवश्यक बुझना गेल।
पत्रिकाक सोद्येश्यता-सार्थकताक लेल वर्तमान समयोमे ई सभ प्रतिमान बनले अछि समसामयिकताक दर्पणमे । मैथिलीक श्रीवृद्धिमे मिथिलाक योगदान ऐतिहासिक रहल। एकरा माध्यमसँ अनेक साहित्यकारक प्रादुर्भाव भेल। मैथिली सम्बन्धी चिन्तनकेँ सुनिश्चित दिशा भेटल । ई पत्रिका नवीन स्वरक उद्घोषक सिद्ध भेल । भोला बाबूकेँ एक सफल पत्रकारक रूपमे सेहो स्मरण करब आवश्यक।
प्राथमिक ओ माध्यमिक स्तरपर शिक्षण हेतु मैथिलीक स्वीकृतिक पश्चात् सामग्रीक अभावकेँ देखैत स्वयं तकर समाधान हेतु अग्रसर भेला आ तीन-तीन स्तरक व्याकरण पोथीक रचना केलनि, प्रकाशित करौलनि आ संगहि उपलब्ध करौलनि –
 1.  प्राथमिक स्तर हेतु - सरल व्याकरण 
2.  उच्च प्राथमिक स्तर हेतु - सुबोध व्याकरण तथा 
3.  माध्यमिक स्तर हेतु - मैथिली व्याकरण चन्द्रोदय
एतबे नहि, हिनक मैथिली भाषा शीर्षक निबन्ध अनेक दृष्टिसँ महत्त्वपूर्ण मानल गेल । अनेक गद्य रचना विभिन्न पत्रिकामे संस्मरण ओ आत्मकथा मिथिला मिहिरमे प्रकाशित भेल अछि । भोला बाबू कवि सेहो छला । मैथिलीक उत्कर्षक गुणानुवादतथा गंगावतरण स्तुतिविशेष प्रकारक कविता अछि । युवक शीर्षकसँ लिखल हिनक कविता तत्कालीन युवामानसकेँ उद्वेलित-प्रेरित करबामे पूर्णतः समर्थ रहल –
हमहि रोष छी प्रबल, हमहि छी तांडव भयंकर,
असन्तोष छी हमहिक्षुब्ध  मानू  छी विषधर,
हमहि अशान्तिक मूलहमहि दानव संहारक,
हमहि परम दुर्दान्तलोकमत  राष्ट्र सुधारक
हमहि  रक्त-दन्तावली-विस्फारित  केहरि  बली,
भूकथु स्वान हजार नितमहामत्त गज सम चली।
एतए रचनात्मकता एवं वैचारिकता दुनू स्पष्ट झलकैत अछि। तेँ साहित्यकारोक रूपमे भोला बाबूकेँ स्मरण करब आवश्यक।
सुनै छी जे पोथी प्रकाशन ओ पत्रिका प्रकाशनक बकिऔता चुकेबाक हेतु भोला बाबूकेँ वासभूमि बन्हकी राखए पड़लनि । आ तेँ, हुनका मैथिलीक दधीचिकहल जाए लागल ।
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तात्पर्य ई जे बाबू भोलालाल दासकेँ, एहि बहुआयामी व्यक्तित्वकेँ, व्यक्तित्वसँ अस्तित्व बनल महामानवकेँ, भाषा उन्नायककेँ, मैथिलीक दधीचिकेँ, भाषा संघर्ष ओ भाषा आन्दोलनक प्रतीककेँ, नवताक पक्षधरकेँ, कुशल सम्पादककेँ, सफल संगठनकर्ताकेँ, श्रेष्ठ निबन्धकारकेँ, प्रेरक कविकेँ, मिथिलाक बहुआयामी विभूतिक सुखद प्रेरक कर्तृत्वकेँ शतशः, कोटिशः स्मरण-वन्दन । तर्पण-  समर्पण । 
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[**एही स्मारिकाक पृष्ठ सं- 46-47 पर प्रकाशित लेख मे बाबू भोलालाल दास रचनावलीक दू खंड में संकल संपादन केनिहार फूलचन्द्र झा ‘प्रवीण’ ई फरिछाके लिखने छथि जे कसरौर हुनक पैतृक गाम छियैन मुदा हनकर जन्म अपन मातृक सहरसा जिलाक महिषी गाम मे भेल छलनि।]


साभार संदर्भ
देसिल बयना  (मिथिला विभूतिपर्व स्मारिका)
मई’ 2017
संपादक : चन्द्रमोहन कर्ण
प्रकाशक : देसिल बयना , मैथिली साहित्य मंच

118-एच.आइ, जी, मदीनागुडा, पो. मियाँपुर, हैदराबाद- 500049


[*हैदराबादक मैथिली साहित्यकेँ समर्पित संस्था देसिल बयनावर्ष भरिमे दू गोट विशेष कार्यक्रमक आयोजन करैत अछि - नवम्बर मे विद्यापति स्मृति समारोह आ मई मे मिथिला विभूति पर्वक । एहि दुनू अवसर पर स्मारिकाक प्रकाशन सेहो कयल जाइत छैक । देसिल बयना स्मारिकाक लोकप्रियता दिनानुदिन बढ़लै ये । सामग्रीक प्रचूरता वला एहि स्मारिका मे विभिन्न विधा आ विभिन्न स्तरक रचनाक समावेश रहैत छैक । एहिमे कतेको रचना उल्लेखनीय होइछ । एकर श्रेय संपादक चन्द्रमोहन कर्ण जीकेँ छन्हि जे सामग्री संयोजनसँ लके टाइपिंग आ प्रूफ रीडिंग तकक काज असगरे गंभीर दायित्वबोधक संग करैत छथि । देसिल बयना औपचारिक रूपें स्मारिका होइतो अपन चरित्रमे मैथिलीक छौमाही साहित्यिक पत्रिका जेना अछि । 
एहि संस्थाक मई’ 2017क मिथिला विभूति पर्वक आयोजन बाबू भोलालाल दास आ धूमकेतु पर केन्द्रित छलहि ।  स्वभाविकरूपें एहि अवसर पर प्रकाशित स्मारिकामे हिनका दुनू गोटय पर केन्द्रित बहुत रास सामग्री प्रकाशित भेल अछि । ओहिमे से किछु सामग्री मैथिली मंडनपर उपलब्ध करेबाक प्रयास रहत ।] 

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