Tuesday, February 3, 2015

मिथिला राज्यक पक्ष मे नहि छी : अरुणाभ सौरभ

2012 मे मैथिलीक युवा साहित्य अकादमी पुरस्कार प्राप्त केनिहार युवा कवि अरुणाभ सौरभ केर कहनए छन्हि जे ओ करीब सात-आठ बरख पहिने अपन संपादित पत्रिका नवतुरिया केर संपादकीय मे एहि आशय केर वक्तव्य द चुकल छथि जे ओ पृथक मिथिला राज्य केर मांग केर विरोधी छथि । 02.02.2015 केर अपन एकटा फेसबुक अपडेट मे ओ बहुत स्पष्ट भ क मिथिला राज्यक निर्माण केर प्रति अपन विरोधक बिन्दु स्पष्ट केनय छथि । एतय हुनक ओहि पोस्ट केँ प्रस्तुत कयल जा रहल अछि । अरुणाभ पृथक मिथिला राज्यक मादे जे विचार व्यक्त केनय छथि ताहि पर पक्ष आ प्रतिपक्ष मे बहस केर पर्याप्त संभावना अछि । अपने जँ गंभीरतापूर्वक एहि विषय में सोचैत होई त अपन विचार maithilimandan@gmail.com पर पठा सकैत छी  एहि बहस केँ आगाँ बढ़ेवाक उद्देश्य यैह होयत जे मैथिलक हित सुनिश्चित करय वाला आत्ममंथनक किछु  उपयोगी सामग्रीक आमद भ सकय ।

अरुणाभ सौरभ
मैथिली मे लीखि रहल छी । निरंतर आ समान रूपेजतने हिन्दी मे ओतने मैथिली मे । कोनो भाषाक लिखल चीज़ दोसर भाषा मे ओहिना अनुवाद कआनबाक विरोधी छी । तखन मैथिलीक किछु विशेष व्यक्ति द्वारा पसारल मिथिला राज्यक सभ दिन विरोध मे छी । हमरा लेल मैथिली मे लिखबाक कतहु सँ अर्थ ई नहि जे हम पृथकतावादी मिथिला राज्य के समर्थन करी । हमरा मिथिलाक कला, दर्शन, साहित्य सभ सँ अटूट सिनेह अछिमिथिलाक अलावे हम भारतक कमोबेस सभ जे सभ इलाका हम गेलहुँ बहुते आदर भेटल,स्नेह भेटल ओहो संस्कृति कला आ भाषा हमरा लिए आदरणीय अछि । मिथिला मे जन्म भेल,संस्कृतिक प्रति हम कृतज्ञ छी । एकर माने ई नहि जे हम पृथक मिथिला राज्य के समर्थन करी । जे वंचित,शोषित जन के पक्ष मे छी तकर निदान मिथिला राज नहि अछि । हम एकटा मैथिलभाषी बिहारी छी ।
झारखंड अलग भेलाक बादो भारत मे कम से कम कोनो नगर- महानगर मे झारखंडक लोक कए झारखंडी नहि कहल जाय छैक-हुनको सभ कए बिहारी कहले जाय छैन ! पूर्वी यूपी बला सेहो बाहर मे बिहारी होय छैक ! बिहार एगो विचारधारा बुझबैछ- जे कहियो समाप्त नहि हएत ! बिहारक इतिहास-भूगोल सँ मिथिला कहियो नहि काटल जाएत ! बिहार सँ ही मिथिला पूर्ण होय छैक आ मिथिले सँ बिहार ! ओहि लेल हम अपना केँ 'मैथिली भाषी बिहारीकहएब बेसी नीक बुझै छीओना कियो कतबो तर्क दए दैथ- अपना सभ गोटे जा जीयब ता इएह पहिचान रहत ! अहाँ मिथिलांचल माँगू हमरा सहरसा-मधेपुरा -सुपौल आ खगडिया आदि जिलाकक लोक कोसी अंचल माँगि लिए । किशनगंज अररिया सं पूर्णिया धरि सीमांचल केर माँग छइहे ! अंग आ बज्जि तसोलह महाजनपद मे रहैक तअंगिका आ बज्जिका केर आधार पर अलग राज्य ! बचल दू गो जिला -दरभंगा आ मधुबनी ओकरा बिहारक लोक देबे नहि करत ! तखन कोना चाही मिथिला राज्य आर किएक से पहिने स्पष्ट करी । भाषाक आधार पर मिथिला,तखन अंगिका,वज्जिका,की कोसी अंचल,सीमांचल सभक मांग उचित ? तखन भोजपुर आ मगध ओहो दुओ क्षेत्र किएक रहतइ बिहार मे, सभ बांटि देनाय उचित छैक?
अंत मे जे मिथिला वर्चस्व थिकै आ बिहार प्रतिरोध । हम प्रतिरोध संग रहब ! कम्पोजिट कल्चर संग रहब ! आ अपना सभ तहिना रहबै ।

अरुणाभक एहि विचार पर देल गेल प्रतिक्रिया सभ केँ पढ़वा लेल क्लिक करूअरुणाभ सौरभक फेसबुक पोस्ट


साभार- विकि मीडिया

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