‘भाइ साहेब’ क सम्बोधन
हुनका सबसँ पहिने उपेन्द्र दोषी जी सँ भेटल छलन्हि ई बात स्वयं राज मोहन झा
अनलकांत (गौरीनाथ) के देल गेल एकटा इंटरव्यू मे बजने छथि । बाद मे हुनका लेल यैह
सम्बोधन सबजना भ’ गेल । जाहि इंटरव्यूक उल्लेख भेल अछि ओ ‘अंतिका’ केर राज मोहन झा पर केन्द्रित
जुलाइ-सितम्बर, 2001 अंक मे प्रकाशित भेल छल । व्यक्ति आ लेखक राज मोहन झा केँ
बूझवा लेल ई अंक बड्ड काजक अछि । एहि अंक मे कतेको महत्वपूर्ण आलेख सब अछि ।
राजमोहन झा (गोपाल जी) क सबसँ छोट भाइ मन मोहन झा (भुवन जी) क लिखल एकटा आत्मीय
संस्मरण सेहो एहि अंक मे प्रकाशित अछि । एहि संस्मरणक माध्यमे परिवारक एकटा सदस्यक
रूप मे राज मोहन झा केँ बूझवाक अवसर भेटैत अछि । एहि आलेख केँ एतय प्रयोजनीय बूझि
प्रस्तुत कयल जा रहल अछि । 'अंतिका' क सम्बंधित पृष्ठक छायाप्रति जेपीईजी फार्मेट मे
उपलब्ध कराओल जा रहल अछि । आर बेसी स्पष्ट पढ़वा लेल कृपया डॉनलोड करी ।
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पत्नी आशा झा क संग राजमोहन झा-1958 |
अंतिका क विमोचन करैत राज मोहन झा संग मे गौरीनाथ, अरुण प्रकाश आ भीमनाथ झा-1999 |
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साभार- अंतिका, जुलाई -सितम्बर-2001 : संपादक- अनलकांत (गौरीनाथ) : नंदिनी, 153 बी पाकेट-ई, दिलशाद
गार्डन, दिल्ली-95
[ स्पष्टिकरण : ‘मैथिली मंडन’ पर एहि तरहक कोनो
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