एकटा
नीक खबरि अछि जे ‘भारती मंडन’क पुनर्प्रकाशनक योजना पर काज शुरू भ’ चुकल अछि ।
मैथिलीक बहुआयामी लेखनक एहि पत्रिकाकेँ एकर प्रकाशन अवधि आ तकर बादहु धरि खूब
सराहल गेलैक । स्तरीय आ महत्वक सामग्रीकेँ प्रकाशित करबाक संगहि एहि पत्रिकामे
नवागंतुक लेल राखल गेल जगहकेँ एहि पत्रिकाक प्रतिष्ठाक मूल कारण मानल जा सकैछ ।
पुनर्प्रकाशनक घोषणाक स्वागतक संगहि भारती मंडन परिवारकेँ शुभकामना दैत पत्रिकाक
संस्थापक-सह-प्रबंधकक एहि आशय केर कथ्य प्रस्तुत कयल जा रहल अछि ।
________________________"पछिला दस बरखमे कोनो एहन दिन नहि रहल होयत जहिया हमरा मनमे पत्रिकाकेँ पुनर्प्रकाशित करबाक विचार नहि आयल हुअए । मुदा पुनर्प्रकाशनक निर्णय धरि पहुँचि सकबा लेल जेहन परिस्थिति हेबाक चाही रहए से एहि वर्ष 2016क शुरूआतमे बनि सकल । एहि निर्णयसँ अहाँ सबकेँ अवगत काराबैत बहुत प्रसन्नता भ’ रहल अछि ।"
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‘भारती मंडन’क पुनर्प्रकाशनक सन्दर्भ मे
तारानन्द झा ‘तरुण’
परिस्थिति किछु तेहन बनि गेल छलैक जे दस बरख पहिने हमरा सबकेँ मैथिलीक बहुआयामी लेखनक पत्रिका ‘भारती मंडन’क प्रकाशन स्थगित करबाक निर्णय लेबए पड़ल छल । ताबत धरि एहि पत्रिकाक बारहटा अंक प्रकाशित भेल छलैक । पत्रिकाक बारहोटा अंक पाठक, रचनाकार आ विद्वान लोकनिक बीच पर्याप्त सराहल गेल छल । पत्रिकाक बन्न भेलाक बाद जे बेचैनी हमरा सब महसूस करैत छलहुँ, ताहूसँ बेसी बेचैनी मैथिली-प्रेमी पाठक, रचनाकार आ विद्वान लोकनिकेँ भेल छलन्हि । चिट्ठी, फोन आ व्यक्तिगत संवादक माध्यमे एहि आशय केर अनेको प्रतिक्रिया भेटैत रहल जे पत्रिकाक प्रकाशन बन्न होयबाक सूचनासँ कतेको मैथिली-प्रेमी आहत छथि । पछिला दस बरखमे कोनो एहन दिन नहि रहल होयत जहिया हमरा मनमे पत्रिकाकेँ पुनर्प्रकाशित करबाक विचार नहि आयल हुअए । मुदा पुनर्प्रकाशनक निर्णय धरि पहुँचि सकबा लेल जेहन परिस्थिति हेबाक चाही रहए से एहि वर्ष 2016क शुरूआतमे बनि सकल । एहि निर्णयसँ अहाँ सबकेँ अवगत काराबैत बहुत प्रसन्नता भ’ रहल अछि ।
‘मिथिला मिहिर’क प्रकाशन बन्न भेलाक बादसँ मैथिली पत्र-पत्रिकाक क्षेत्रमे एकटा पैघ रिक्तता आबि गेल छलैक । एहि रिक्तताकेँ भरबाक उद्देश्यसँ वर्ष 1995क पूर्वार्धमे हमरा सब ‘भारती मंडन’क प्रकाशनक संकल्प लेने छलहुँ । पत्रिकाक प्रवेशांक सितम्बर’1995मे बहरायल छल । पत्रिकाक प्रस्तावना त्रैमासिकक रूपमे कएल गेल छलैक, मुदा प्रकाशनक क्रममे ई कहियो सावधिक नहि रहि सकलैक । सुपौल सनक छोट जगहसँ, साधन आ अर्थक अभावमे पत्रिकाक प्रकाशनक काज सुगम नहि छलैक । तखनहुँ हमरा सबहक प्रयास रहैत छल जे बरख भरिमे पत्रिकाक कमसँ कम दुओटा अंक प्रकाशित क’ सकी । लेटर प्रेससँ कम्प्यूटर प्रेस धरि यात्रा करैत ‘भारती मंडन’क बारह अंकक अलावा यात्रीजीपर केन्द्रित संस्मरण पुस्तिका ‘तुमि चिर सारथी’ आ प्रभाष चैधरीपर केन्द्रित पुस्तिकाक प्रकाशन अतिरिक्तांकक रूपमे सेहो भेल छलैक । पत्रिकाकेँ रजिस्टर्ड करेबाक प्रयासक क्रममे पत्रिकाक एकटा अंक ‘मंडन निकेत’क नामसँ सेहो बहरायल छल । हम सब प्रतिबद्ध छलहुँ जे पत्रिकामे सामग्रीक गुणवत्तासँ कोनो समझौता नहि करबाक अछि । विभिन्न स्तम्भ मे बाँटल गेल पत्रिकामे मुदा नवागत रचनाकारो लेल पर्याप्त जगह राखल गेल छलैक । साधनक अभाव आ विक्रयक खराब स्थितिक अछैतो पत्रिकाक वितरणक स्थिति तेहन छलैक जे आइ पत्रिकाक पुरान अंक सब प्रायः अनुपलब्ध अछि ।
‘भारती मंडन’क पाछाँ प्रबंधनक कोनो टीम वा पूँजी नहि छलैक । नीक विज्ञापनक जोगाड़ आ सरकारी संस्था सबसँ वित्तीय सहयोगक आस नहि लगायल जा सकैत छल । एहन परिस्थितिमे मैथिली-प्रेमी बन्धु लोकनिसँ भेटल आर्थिक सहयोगे एहि पत्रिकाक प्रकाशनक आधार छल । सदस्यताक योजनाकेँ व्यक्तिगत विज्ञापनसँ जोड़बाक विचार एहने परिस्थितिमे हमरा मनमे आयल छल । लोकक सहयोग जुटायब बड्ड कठिन काज होइत छै, मुदा ततबहु नहि जे निराश भ’ जेबाक चाही । कतेको लोक एहनो भेटलाह जे अपनहि अन्तःप्रेरणासँ पत्रिकाकेँ आर्थिक सम्बल देबा लेल आगाँ एलाह । प्रकाशनक क्रममे प्रत्येक अंक लेल प्रायः मात्र जनसहयोगेक बलेँ उपलब्ध होयबला आर्थिक आधारक मादे हम कमसँ कम ई कहि सकबाक स्थितिमे छी जे पत्रिकाक प्रकाशनकेँ स्थगित करबाक निर्णयक पाछाँ आर्थिक अभाव कतहुसँ मुख्य कारण नहि छलैक ।
छौमाही पत्रिकाक रूपमे ‘भारती मंडन’क पुनर्प्रकाशनक निर्णय लेबाक हिम्मति, हमरा सब जनसहयोगेकेँ वित्तीय आधारक रूपमे ध्यानमे राखैत लेल अछि । एतए ई फरिछा देब आवश्यक बुझना जाइछ जे पत्रिकाक पुरान सदस्यता सहित सदस्यताक पूर्वक सब योजना निरस्त क’ देल गेल अछि । ई निर्णय एहि सद्भावनाक संग कएल गेल अछि जे रचनात्मक सामग्रीमे कटौती आ विज्ञापन सामग्री केर बहुत बेसी भारसँ पत्रिका के बचाओल जा सकए । सदस्य लोकनिकेँ सदस्यताक रसीद देबाक क्रममे ई बता देल जाइत छलन्हि जे हुनक सहयोग राशिक एवजमे व्यक्तिगत विज्ञापन देल जेतन्हि आ शेष कोनो सुविधाकेँ ‘भारती-मंडन’ परिवारक सप्रेम भेंट बूझल जाए । आशा अछि जे एहि निर्णयकेँ जरूरी बूझि अपने सब सहयोग करब ।
एहि बेर पत्रिकाक सुचारु प्रकाशन लेल दू तरहक सहयोगक योजनाक प्रस्ताव राखल गेल अछि । पहिल योजना थिक वित्त सम्पोषक रूपमे सहयोगक जाहिमे एक अंक लेल एक मुश्त 5000/- टाकाक सहयोग राशि निर्धारित कएल गेल अछि । सक्षम लोक वित्त सम्पोषकक रूपमे आगाँ एताह से आशा अछि । एहि योजनाक अन्तर्गत वित्त सम्पोषकक फोटो आ विस्तृत परिचय पत्रिकाक एक पूरा पृष्ठमे देल जाओत । वित्त सम्पोषककेँ ओहि अंक केर दू प्रति भेंट कएल जेतन्हि जाहि अंकमे ओ सहयोग करताह आ एकर अतिरिक्त पत्रिकाक आगामी नौ अंकक एक-एक प्रति हुनका नियमित रूपें भेटैत रहतैन्ह ।
दोसर योजना वित्तीय सहभागीक रूपमे सहयोगक अछि । सहयोगक एहि योजनामे एक अंक लेल कमसँ कम 500/- टाकाक सहयोगक अपेक्षा कएल जाइत अछि । एहि योजनाक अन्तर्गत वित्तीय सहयोगीक सूचीमे नाम आ संक्षिप्त परिचय प्रकाशित कएल जेतन्हि । वित्तीय सहभागीकेँ ओहि अंकक दू प्रति भेंट कएल जेतन्हि जाहिमे ओ सहयोग करताह आ एकर अतिरिक्त पत्रिकाक आगामी एक अंकक एक प्रति हुनका सेहो भेटतन्हि ।
जँ एहि तरहक सहयोग प्रत्येक अंक लेल नियमित रूपेँ भेटि सकय तँ पत्रिकाक नियमित प्रकाशन लेल ई एकटा पैघ स्थायी आधार होयत । मुदा जँ ई सहयोग लगातार नहि रहितो बेर-बेर, एकाधिक बेर वा एकहि अंक धरि भेटय तखनो ई कम महत्वक नहि होयत । आशा अछि जे अपने सबहक सहयोग पूर्ववत भेटैत रहत ।
लागत मूल्य अपेक्षाकृत बेसी रहबाक अनुमान बादो हमरा सब ई निर्णय कयल अछि जे एखन एक प्रतिक मूल्य 50/- टाकासँ बेसी नहि राखल जाय । सामन्य पाठकक लेल एक मात्र सदस्यता योजनाक रूपमे वार्षिक (दू अंकीय) सदस्यताक प्रावधान सेहो राखल गेल अछि । एहि निमित्त्त 150/- टाका (डाक खर्च सहित) निर्धारित कयल गेल अछि ।
लागत मूल्य अपेक्षाकृत बेसी रहबाक अनुमान बादो हमरा सब ई निर्णय कयल अछि जे एखन एक प्रतिक मूल्य 50/- टाकासँ बेसी नहि राखल जाय । सामन्य पाठकक लेल एक मात्र सदस्यता योजनाक रूपमे वार्षिक (दू अंकीय) सदस्यताक प्रावधान सेहो राखल गेल अछि । एहि निमित्त्त 150/- टाका (डाक खर्च सहित) निर्धारित कयल गेल अछि ।
पत्रिकाक प्रकाशनक संकल्पक संगहि कल्पना केने छलहुँ जे मसिजीवी रचनाकार लोकनिकेँ मानदेय देबाक स्थितिमे आबि सकी । पत्रिकाक बारह अंक धरि ई संभव नहि भ’ सकल छल । हमरा उमेद अछि जे सक्षम लोकक सहयोगक बलें हम सब शीघ्रे एहू स्थितिमे आबि सकब ।
पत्रिकाक पुनर्प्रकाशनक उद्देश्य बहुत स्पष्ट अछि आ ओ अछि मैथिली भाषा आ साहित्यक उन्नयन आ प्रसारमे महत्वपूर्ण योगदान देब । केदार काननक सम्पादनमे ई पत्रिका एहने भूमिकाक निर्वाह करत से हमरा आशा अछि । एहने भूमिकाक खगतो छैक । हमरा विश्वास अछि जे मैथिलीमे रचनाशीलता आ पठनीयताक संकटकेँ कम करबामे ई पत्रिका महत्वपूर्ण योगदान द’ सकत । जँ कोनो तरहक बाधा उपस्थित नहि होए तँ पुनर्प्रकाशनक निर्णयक बादक पहिल अंक जून-जुलाई-2016 धरि अहाँ सबहक हाथमे होयत ।
आशा अछि अपने सबहक रचनात्मक आ आर्थिक सहयोग नियमित रूपें भेटैत रहत । वित्तीय सहयोग प्रबन्धकीय पतापर आ रचनात्मक सहयोग सम्पादकीय पतापर पठाओल जा सकैत अछि । सुविधा लेल क्रमशः दुनू पता नीचा उपलब्ध कराओल जा रहल अछि । जय मैथिली ।
प्रबंधकीय सम्पर्क : तारानन्द झा ‘तरुण’, संस्थापक-सह-प्रबंधक ‘भारती मंडन’, तरुण निकेतन मलाढ़, ग्राम + पत्रालय - मलाढ़, वाया - थरबिट्टा, जिला- सुपौल, बिहार- 852138,मो.- 09006292627, 09507633641
सम्पादकीय सम्पर्क : केदार कानन, सम्पादक ‘भारती मंडन’, किसुन कुटीर, सुपौल, बिहार- 852131, मो.- 09471062706, 07542043991
प्रबंधकीय सम्पर्क : तारानन्द झा ‘तरुण’, संस्थापक-सह-प्रबंधक ‘भारती मंडन’, तरुण निकेतन मलाढ़, ग्राम + पत्रालय - मलाढ़, वाया - थरबिट्टा, जिला- सुपौल, बिहार- 852138,मो.- 09006292627, 09507633641
सम्पादकीय सम्पर्क : केदार कानन, सम्पादक ‘भारती मंडन’, किसुन कुटीर, सुपौल, बिहार- 852131, मो.- 09471062706, 07542043991
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(मलाढ़ / 31.04.2016)
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