सुपौल (बिहार) मे जनमल अनुप्रियाक
पढ़ौनी नवोदय विद्यालय, सुपौल मे भेल छैन्हि ।
हिन्दी कविता सँ अपन साहित्यिक यात्रा शुरू करय वाली अनुप्रिया हिन्दी कविताक युवा पीढ़ी मे चिन्हल जानल कवयित्री छथि ।
भगजोगनी
हमरा लग ने दीप अछि
हमरा लग ने दीप अछि
ने बाती
आर ने
तेल
तैयौ
जरौने छी
दीप
उमेदक अपन
आँखि मे
किछु
एहेन घर
किछु
एहेन डगर
किछु
एहेन बस्ती जतय
ढीठ भ’ जीबैत अछि अन्हार
ओतय
देखने छी हम
टिमटिमाइत
भगजोगनी
जेना अपन
मिरियैल इजोत सं
ओ काटि
देबय चाहैत होई
घुप्प
अन्हार
वैह
भगजोगनी
हमरा मन
मे
गहैत अछि
विश्वास
जे आब
एतहु
मनायल
जायत दिवाली
आउ झक
इजोत लेल
एक-एक टा
दीप जराबी ।
देह
अहां हमरा गहय चाहैत छलहुँ
अपन
बाँहि मे
आ हम
चाहैत छलहुँ
अहाँक
संग
अहाँ
छूबय चाहैत छलहुँ
हमरा
आ हम
अहाँक हाथ पकड़ि
पूरा करय
चाहैत छलहुँ
जीवन-जतरा
हमरा लेल
तेँ अहां
हमर
आत्मा बनि गेल छलहुँ
मुदा
अहांक लेल
हम-
मात्र एकटा देह ।
Anupriya Ker tewar nit naveen pathak lag pahunchay tain aar kichh nav kavita blog par di se aagrah.
ReplyDeleteAkhil Anand
nik prastuti
ReplyDeletebahut nik bhabijee rachana
ReplyDeleteShreshtha rachnaa.
ReplyDeleteदोसर कविताक' समापन बहुत बहुत नीक ...
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