Saturday, June 21, 2025

डा० लक्ष्मण झा एक प्रखर व्यक्तित्व : मदनेश्वर मिश्र

डॉ. लक्ष्मण झाक जीवन आ कृतित्व सँ परिचित करेबाक उद्देश्य सँ श्री जयमंत मिश्रक एकटा लेख, एहि ब्लॉग पर अहि पोस्ट सँ पूर्व प्रकाशित कएल गेल छल। हुनकर लेख डॉ. सुरेश्वर झा क संपादन मे 2002 मे प्रकाशित डॉ. लक्ष्मण झाक किछु लेखटिप्पणी आदिक संकलन 'विचार-चिंतामणीमे प्ररोचनाक रूप मे प्रकाशित भेल छल। एहि क्रम मे पुस्तक मे मे सम्मिलित श्री मदनेश्वर मिश्रक लिखल एक टा महत्वपूर्ण संस्मरण प्रधान लेख उपरोक्त पुस्तकक संपादकक प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करैत प्रस्तुत कएल जा रहल अछि।


डा० लक्ष्मण झा : एक प्रखर व्यक्तित्व


मदनेश्वर मिश्र

डॉ० लक्ष्मण झा एक प्रखर आ उच्चकोटिक विद्वान छलाह। ओ मैथिली भाषासाहित्यइतिहास आ अर्थशास्त्रक विशेष रूप अध्ययन कयने छलाह। मैथिली ओ मिथिलाक्षरक लेल हुनका अत्यन्त प्रेम छलनि। ओ पुरातत्वविद सेहो छलाह। भारत-छोड़ू” आन्दोलन मे जेल गेलाह आ ओतयसँ मुक्त भेलाक बाद बिहार सरकारक स्कॉलरशिप पर लन्दन विश्वविद्यालयसँ एम०ए० आ पी०एच०डी० करबालेल ओ इंगलैंड चलि गेलाह। 1947 ई० मे ओ एम०ए० आ 1949 ई० मे मिथिला एण्ड मगधविषय पर पी०एच०डी० लंदन विश्वविद्यालय सँ कयलनि। तकर बाद ओ स्वदेश वापस भ' गेलाह। एलाक किछु दिनक बाद ओ पटना विश्वविद्यालयमे अध्यापनक काज कयलनि। 1949 ई० सँ 1952 ई० धरि ओ जायसवाल शोध संस्थानपटनामे उपनिदेशकक पद पर काज कयलनि। तखन निदेशक छलाह स्वनामधन्य स्व० अल्तेकर। मुदा हुनका सँ डॉ० लक्ष्मण झा के पटरी नहि बैसलनि। 1952 ई० क प्रथम आम चुनाव मे सोशलिस्ट पार्टीक टिकट पर संसदक लेल चुनाव मे भागलेबाक कारणसँ डा० लक्ष्मण झाकें सरकारी सेवा छोड़य पड़लनि। दरभंगा संसदीय क्षेत्रसँ ओ चुनाव हारि गेलाह। तत्पश्चात्‌ किछु दिन ई सी०एम० कॉलेजमे इतिहासक व्याख्याता रहलाह। ओहि अवधिमे ओ मिथिला'” नामक मैथिली साप्ताहिकक प्रकाशन प्रारंभ कयलनि। किछु अंकक प्रकाशन भेलाक बाद ई बन्द भ’ गेल।
          ई प्रशंसनीय अछि जे लखन जी स्कूलक छात्रक समयसँ साइमन कमीशनक विरोध सँ 1942 धरि स्वतंत्रता आन्दोलनमे पूर्ण सक्रिय रहि भागलेलनि। लखनजी पहिने काँग्रेसमे छलाह आ बादमे सोशलिस्ट पार्टीमे सम्मिलित भगेलाह।
          बिहारमे कर्पूरी ठाकुरक नेतृत्व मे जखन सरकार बनल तँ 1977 ई० मे ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालयक नामसँ ललित बाबूक नाम सरकार द्वारा हटा देल गेलैक। ओहि समयमे हम एहि विश्वविद्यालयक कुलपति छलहुँ। हम कुलाधिपतिसँ भेटकए कहलियनिजे ई काज सरकार द्वारा उचित नहि भेल छैक। अपने जँ ललित बाबहूक नाम सरकार द्वारा पुनः जोड़बा सकी तँ ठीक छैक अन्यथा हम सरकारक एहि निर्णयक विरोधमे इस्तीफा दैत छी। अपने एकरा स्वीकार कएल जाओ। राज्यपाल डॉ० जगन्नाथ कौशल सेहो सरकारक एहि फैसलासँ दुखी छलाह। मुदा एक शालीन पदाधिकारी जकाँ सरकारक विरोधमे किछु बाजथि नहिं। हम तीन दिन निरन्तर राजभवन मे हुनकासँ अपन इस्तीफाक मंजूरीक हेतु निवेदन करैत रहलियनि। एहि बीच ओ सरकारहुँसँ विचार-विमर्श करैत रहलाह। मुदा हमरा सतत कहैत रहलाह जे भावनामे नहि बहू। अन्ततोगत्वा ओ हमरा जिद्द पर हमर इस्तीफा स्वीकार काएलनि आ हमरे आग्रह पर नव नियुक्त कुलपतिक नियुक्ति-पत्र सेहो हमरहि द' देलनि। डॉ० लक्ष्मण झाक नियुक्ति-पत्र ल' क' हम पटनासँ राति मे दरभंगा पहुँचलहुँ। डॉ० लक्ष्मण झाक नियुक्ति-पत्र हम अपन बधाईक संग तत्कालीन रजिस्ट्रार डॉ० शालिकनाथ मिश्रक हाथें हुनका पठा देलियनि आ हम भिनसरे दरभंगासँ पुर्णिया कॉलेजमे अपन प्रधानाचार्यक पद पर योगदान करबालेल विदा भ' गेलहुँ।
          जखन हम दरभंगामे कुलपति छलहुँ तँ डॉ० लक्ष्मण झासँ हमरा सम्पर्क बनल रहैत छल। कखनहुँ-कखनहुँ ओ हमरा किछु-किछु काजो करयलेल कहथि। एक दिन ओ हमरा टेलिफोन कयलनि जे एकटा डोम श्रीमल्लिक मिथिले विश्वविद्यालय सँ मैथिली मे एम०ए० पास कयने छथि। ई सामान्य बात नहि थिकैक। ओ हमरा कहलनि जे यदि संभव होइतँ विश्वविद्यालयमे हिनकर योग्यता देखि के कोनो पद पर नियुक्त कएलेल जाए। हम हुनका आश्वासन देलियनि जेँ अवसर अयला पर ओहि डोम विद्यार्थीक संग समुचित व्यवस्था कयल जेतैक। समय ऐलापर हुनक नियुक्ति विश्वविद्यालयमे तृतीय वर्गीय कर्मचारीक रूपमे कए लेल गेलनि आ ओ एखन मिल्लत कॉलेज मे प्राध्यापक पद पर नियुक्त छथि। एहि सँ ओ बड़ प्रसन्न भेल छलाह। प्रसन्न एहि कारणे जे समाजक निम्नतम वर्गक लोकक प्रति हमरहु ओहने सहानुभूति छल जेना हुनका छलनि।
          किछु दिनक बाद ओ पुनः टेलिफोन कयलनि आ कहलनि जे हुनका पता लागल छनि जे पंचोभ गाम मे हथिया नक्षत्र मे बिहाड़िक कारणें बहुत घर खसि पडल छैक। विश्वविद्यालयक काज हेबाक चाही जे एहेन विपत्तिक समयमे समाजक लोककेँ सहायता करय। हम हुनका कहलियनि जे हम हुनक विचार सँ सहमत छी। मुदा पहिने हम ओहि क्षेत्रक एहि समस्या सँ अवगत भए जाइ तखन हम अपने सँ विचार-विमर्श कए विश्वविद्यालय दिससँ समुचित कार्य करबाकलेल प्रवृत्ति होएब। हम ओही दिन कंसी-सिमरी आ पंचोभ दिस विदा भेलहुँ। हमरा धानक खेतमे किछ काज करैत गृहस्थ आ मजदूर सभसँ भेट भेल। ओ लोकनि हथियाक वर्षा सँ बड़ प्रसन्न छलाह। हम हुनका लोकनिसँ पुछलियनि जे घर सभ जे खसल छैक तकरासँ तँ बर्बादी भेल छैकओलोकनि कहलनि जे नहि एहन कोनो नोकसान नहि भेल छैक आ हमहूँ देखलियैक जे एक आधटा लटपटायल घर कतहु-कतडु झटक मे खसि पडल छलैक। ओलोकनि ईहो कहलनि जे हथियाक पहिने जे घर लटपटा जाइत छेक ओकर मरम्मत नहि क' खसबाक हेतु छोड़ि दैत छियैक जे खसलाक बाद ओकरा सांगोपांग उठायब। कहबाक अर्थ ई जे कोनो रिलीफक आवश्यकता नहि छलैक। डॉ० लक्ष्मण झा हमर रिपोर्ट! सँ अत्यन्त प्रसन्न भेलाह। हुनका दोसरो सूत्रसँ पता लागि गेल छलनि जे हथियाक वर्षा सँ कृषकसभ प्रसन्न छलाह। डॉ० लक्ष्मण झा पीड़ित वर्गक दुःख के देखि पसीज जाइत छलाह।
          यद्यपि ओ हमरा सँ उमेरमे जेठ छलाह मुदा अहू कारणेँ आदर दैत छलाह जे हम हुनका सँ पहिनहि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालयक कुलपति भगेल छलहुँ। अनुशासनक सतत पावन्द!
          हमर पुत्र डॉ० रलेश्वर मिश्रमिथिला विश्वविद्यालयक स्नात्कोत्तर इतिहास विभागक अध्यक्ष हुनका बहुत प्रिय छलथिन। जखन हम विश्वविद्यालयमे छलहुँ तेँ श्रीरलेश्वर हमरे संग रहैत छलाह। मुदा हमरा गेलापर हुनका डेराक समस्या भगेलनि। हम डॉ० झाकेँ एहि सम्बन्धमे संवाद देलियनि तँ अत्यन्त आत्मीयतासँ ओहि समयमे उपलब्ध एक नीके डेरा हुनका आबंटित कयलथिन। आत्मीयताक निर्वाह मे हुनका कहियो कमी नहि रहलनि।
          कुलपति भेलाक किछु दिनक बाद ओ पुर्णिया कॉलेजक निरीक्षण करबाक लेल पुर्णिया गेलाह। हुनका कॉलेजमे पता चललनि जे अस्वस्थताक कारण सँ हम अवकाश पर छी। ई सुनतहिं ओ नवरत्नहातामे अवस्थित हमर आवास पर हमरा देखबाक लेल तुरन्त आबि गेलाह। प्रचंड रौद आ गर्मा छलैक। सुस्तयलाक किछुए कालक बाद कहलनि-''हमरा खीरा खाइक इच्छा होइत अछि। हम भीतरसँ बहुत गर्मीक अनुभव क' रहल छी।'' हम कहलियनि जे खीरा तँ हमरा बाड़िये मे अछि आ तुरन्त खीरा काटिकहुनका देल गेलनि। बहुत प्रेम पूर्वक ओ खीरा खयलनि आ किछु देरक बाद कहलनिजे हुनक मोन बिल्कुल शान्त भगेलनि अछि। केहन आत्मीयता! किछु ठहरिक' भोजन कयलनि आ भोजनक सामग्री हुनका एहि कारण बहुत उत्तम लगलनि जे सामग्री सादा आ ताजा छलैक तथा मसालाक कमसँ कम व्यवहार भेल छलैक। ई ओ बेर-बेर बहजलाह। मिथिला विश्वविद्यालयक गणित विभागक अध्यक्ष डॉ० बी०एन० झा सेहो हुनक संग छलथिन। संध्याकाल ओ हमर आग्रह कएलहुँ पर नहि रुकलाह। अपन कार्य-क्रमक अनुसार ओ दर्शनशाह कॉलेजक निरीक्षण करबाक हेतु कटिहार चल गेलाह। हुनक पोशाक छल अत्यन्त साफ धोती आ उज्जर चादरि। एहि सादगीक सोझाँ मे के नहि नतमस्तक भजाएतएही भेषमे ओ विश्वविद्यालय कार्यालय जाथि, दूर-दराजक कॉलेज-निरीक्षण मे जाथि। हुनक सोच-विचार सेहो सीधा आ स्वच्छ। एहि विलक्षण कुलपति केँ देखि लोकक मोनमे स्वतः श्रद्धा उत्पन्न भजाइक।
          किछुए समय बाद विश्वविद्यालयक कुलपति पद सँ ओ हटि गेलाह। मुदा रहन-सहनबात-चीतमे कोनो अन्तर नहि। तकर बाद ओ पूर्व विधायक प्रेमचन्द्र शास्त्रीक सारामोहनपुरक निवासमे रहय लगलाह। हम जखन दरभंगा आबी ते हुनक भेट करबालेल ओतय जाइ। ओ बड़ प्रसन्न होथि आ देरतक बैसाकगप्प करथि। पुस्तकसँ हुनका बड़ अनुराग छलनि आ हुनकर निजी पुस्तकालयमे मूल्यवान पुस्तकक संग्रह छलनि। हमरा स्मरण अछि जे मिथिला साप्ताहिक पत्रकजकर ओ सम्पादक तथा प्रकाशक छलाहसब प्रकाशित अंक के एकठाम जिल्द बन्हाकएहमरा देने छलाह। ओहि पत्रिकाक सामग्री आ विशेष रूपें सम्पादकीय लेख सभसँ ई स्पष्ट अछि जे ओ मिथिला आ मैथिलीक प्रचार ओ प्रसारक लेल कोनो त्याग कसकैत छलाह। मैथिल संस्कृति हुनका रगरगमे भीजल छल।
          समाज सेवापर हुनका बहुत ध्यान रहनि। ओतँ हमरहुँसँ समाज-सेवा करबाबय चाहैत छलाहजाहिमे हमरा आपत्ति नहि छल। दरभंगामे हम जखन कुलपति छलहुँ तँ डॉ० अरुण कुमार मिश्रकेँजे सी० एम० कॉलेज मे प्राध्यापक छलाहओ एहि कारणें मानैत छलथिन जे समाज-सेवा सम्बन्धी जे काज ओ हुनका करय कहथिन से ओ सहर्ष आ रुचिपूर्वक करथिन।
          हम डॉ० सुरेश्वर झा केँ हृदयसँ धन्यवाद दैत छियनि जे ओ एहेन ऋषितुल्य व्यक्तिक जीवनक प्रमुख घटना आ विचारक संकलन तैयार कयलनि। हिनकर अध्यवसायिकता आ डॉ० लक्ष्मणझाक मिथिला ओ मैथिलीक प्रेमक लेल हिनकर आदर आ निष्ठा स्तुत्य अछि। 'विचार चिन्तामणिक संग्रहक लेल हम हुनका पुनः पुनः धन्यवाद दैत छियनि। डॉ० लक्ष्मण झाक स्मृति मे ओ ई एक गोट अनुपम काज कयलनि अछि।

[कलशस्थापन/28-9-2000]
 
संदर्भ
विचार चिंतामणि
डॉ० लक्ष्मण झा
संकलन एवं संपादन- डॉ० सुरेश्वर झा
प्रकाशक- मिथिला मण्डलदरभंगा
प्रकाशन वर्ष- 2002
पृष्ठ- XV-XVIII

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